27-Apr-2024 PM 01:57:06 by Rajyogi Ji
मैने भूतो का शहर देखा! जहाँ श्मशान जल रहे थे और मुर्दे जिंदा थे। उस शहर में मैने भांति-भांति के कौतुक देखे, जिसमें कुछ मुर्दे चिता के ऊपर मंत्र पढ़कर मरे हुए को जिंदा करने का प्रयास कर रहे थे तो कुछ मुर्दे बुझी हुई राख में फूंक-फूंक कर आग जलाने का प्रयास कर रहे थे, कुछ मुर्दे भाव एवम विचार विहीन होने पर भी खुद के जिंदा जिंदा होने का दावा कर रहे थे और कुछ विचारहीन मुर्दे विचारवान ईश्वर से मुक्ति की मिथ्या गुहार लगा रहे थे। कुछ मुर्दे गधो की तरह कतार बनाकर पीठ पर झोलियां टांगकर चल रहे थे और एक झोली में मृत विचाधारा तथा दूसरी झोली में कल्पनाए लादे हुए थे।
दृश्य बड़ा भयावह तथा दया पूर्ण था! मैने कुछ मुर्दो को रोका और समझाने का प्रयास किया, इस पर वह मुर्दे मुझपर ही झपट पड़े और बोले! कि आप कुतर्क छोड़कर हमारी टोली में शामिल हो जाइए और हमारे राजा बनकर हमारी अगुवाई कीजिए। बड़ी विकट स्थिति थी, मैं उनको जीवित करने में लगा था और वह मुझे मुर्दा करने में, ना मैं उनमे शामिल होने को तैयार था और ना वह मुझमे शामिल होने को तैयार थे, दोनो तरफ से बात बनती ना देख मैने बिगड़ते हालातो का जायजा लिया और आंखें बंद कर मैं खुद के जिंदा होने में लीन हो गया।
-राजयोगी जी