27-Apr-2024 PM 02:36:09 by Rajyogi Ji
पता नहीं यह मनुष्य इस शरीर से इतना मोह क्यूँ करता है! जो पांच विकारों और वासनाओ का घर है, जिसे अगर दो दिन तक धोया ना जाए तो इसमें से बदबू आने लगती है। पता नहीं यह मनुष्य इस मन रूप में कैसे रमा हुआ है, जो इसके बंधन का द्वार है, और जिसने इसे इच्छाओ में जकड़कर आवागमन में उलझा रखा है।
पता नहीं यह मनुष्य इस संसार में इतना मन क्यूँ लगाए बैठा है! जो ना तो इसके जन्म के पहले विद्यमान था, और ना इसके शरीर त्यागने के बाद ही विद्यमान रहने वाला है। पता नहीं यह मनुष्य क्यूँ अपने शुद्ध चेतन स्वरूप की प्राप्ति के लिए प्रयत्न नहीं करता, जिसे प्राप्त कर यह स्थिर आनंद एवम शांति को प्राप्त हो जाएगा।
-राजयोगी जी