27-Apr-2024 PM 02:25:41 by Rajyogi Ji
दुनिया अज्ञानता में मुक्ति की बात करती है! यद्यपि यह मनुष्य मुक्ति के वास्तविक स्वरूप से भी अनभिज्ञ है। बड़े बड़े ग्रंथ-शास्त्र आवागमन से मुक्ति की बात करते हैं, जैसे कोई धनुर्धर अंधेरे में तीर चला रहा हो। मैने मुक्ति पर बहुत गहराई से विचार किया और सूक्ष्मता में भी प्रवेश किया, तो मैने जाना! जिन नारायण को मुक्त होना है वह चराचर जगत में बिखरे हुए हैं और जो मुक्त होने का प्रयास कर रहा है वह अस्तित्व विहीन है। जैसे एक स्वप्न की मुक्ति से मनुष्य पूर्ण रूप से मुक्त नहीं हो सकता है, वैसे ही एक इच्छा से मुक्त होकर नारायण मुक्त नहीं हो सकते हैं- जहाँ एक इच्छा शेष है! नारायण वहीं पर पूर्ण रूप से बंधन में हैं।
-राजयोगी जी