27-Apr-2024 PM 02:30:56 by Rajyogi Ji
जब तक यह मनुष्य भीतर से बाहर की और बहता है, इसे बाहर की और उजाला और भीतर की और अंधेरा दिखता है। किन्तु जब यह मनुष्य बाहर से भीतर की और बहता है, तब इसे बाहर की और अंधेरा और भीतर की और उजाला दिखता है। कारण कि आप जिस और अपनी ऊर्जा को प्रज्वलित करते हो, उसी और उजाला हो जाता है।
-राजयोगी जी