27-Apr-2024 PM 02:08:46 by Rajyogi Ji
कितने आश्चर्य की बात है! कि यह साधारण बुद्धि वाला मनुष्य मुक्ति की बात करता है, जिसे मुक्ति का सही अर्थ और वास्तविकता का ज्ञान भी नहीं है। यह स्वप्न में दृश्य मनुष्य! मुक्ति के नाम पर स्वप्न रूपी जीवन में भी विभिन्न स्वप्नो को घड़ने में लगा है, जिसे भोगने के लिए इसे पुनः स्वप्न में ही जाना पड़ेगा। काश कि यह विवेकशील मनुष्य अपने अंतर्ज्ञान से जान लेता कि स्वप्नो से मुक्त होकर चेतना ( जागना ) ही मुक्ति है, बंधी हुई श्रंखला की बेड़ियों से छूटना ही मुक्ति है जिसमे सोये हुए नारायण ने अपने को स्वयम ही बाँध रखा है।
-राजयोगी जी