27-Apr-2024 PM 02:20:03 by Rajyogi Ji
विचार बड़े प्रभावशील होते हैं! विचार ही क्लिष्ट एवम अक्लिष्ट वृत्तियों का निर्माण करते हैं, इसलिए विचारों को बड़ा सोच-विचार कर धारण करना चाहिए। एक विचार मायावान होकर अनेक को प्रभावित करता हुआ संसार हो जाता है, तो वहीं एक विचार निर्गुण होकर निराकार हो जाता है। आपने सही सुना विचार भी निर्गुण होकर निराकार हो सकता है! अरे जब एक विचार निराकार को प्रभावित कर अनेक हो संसार का निर्माण कर साकार हो सकता है, तो एक विचार अनेक में बटे साकार को प्रभावित कर अनेक को समेट कर एक भी तो हो सकता है- जैसे अनेक कुए, बावड़िओ एवम नदियो में बटा हुआ जल एक होकर समुद्र हो जाता है, ठीक उसी प्रकार शरीर, संसार एवम इंद्रियो में बटा हुआ यह मन एक होकर निराकार हो जाता है। जिस विचार से मन में आनंद के साथ ठहराव आने लगे, जो विचार आपको बाहर से भीतर की ओर प्रभावित कर दे- वहीं विचार निराकार है। जिस विचार से मन के संकल्पो-विकल्पो का नाश होकर संसार तथा शरीर की नश्वरता का ज्ञान होने लगे, जो विचार मन रूपी असुर को भीतर ले जाकर देव योनि में परिवर्तित कर मुक्त कर दे- वहीं विचार निराकार है। इस साकार तथा निराकार विचार की महिमा बड़ी अद्भुत है, इसी विचार में एक द्रष्टा अनेक रूपों में परिवर्तित हो जाता है तथा इसी विचार में सभी दृश्य एक होकर दृश्य और द्रष्टा का भेद समाप्त कर देते हैं।
-राजयोगी जी