27-Apr-2024 PM 02:15:59 by Rajyogi Ji
आत्मज्ञानी महात्मा इच्छाओ में क्यों नहीं उलझते!
मनुष्य को अग्नि की वास्तविक जानकारी है इसलिए मनुष्य अग्नि का दैनिक कार्यो में सावधानी पूर्वक आवश्यकतानुसार प्रयोग करता है, किंतु मनुष्य कभी भी अग्नि को मोह में आकर हाथ से पकड़ने का प्रयास नहीं करता- मनुष्य को ज्ञान है कि अग्नि को हाथ से पकड़ने पर अग्नि जला देगी। ठीक उसी प्रकार आत्मज्ञानी महात्माओ को इच्छा का वास्तविक ज्ञान रहता है, कि इच्छा को पकड़ने पर वह सर्वस्व नाश कर देगी,इसलिए आत्मज्ञानी महात्मा इच्छा को पकड़ने का कभी प्रयास नहीं करते-
आत्मज्ञानी महात्मा संसार में ठीक वैसे ही रहते हैं जैसे जल में कमल का पत्ता! जिस प्रकार कमल का पत्ता अपना चक्र पूरा करने के लिए बिना जल में लिप्त हुए जल में रहता है, ठीक उसी प्रकार आत्मज्ञानी महात्मा अपना चक्र पूरा करने लिए बिना लिप्त हुए संसार में रहते हैं। जो सत्वगुण संपन्न साधक अभी पूरे आत्मज्ञान को प्राप्त नहीं हुए हैं , उन्हे ठीक वैसे ही अंतर्ज्ञान से मार्गदर्शन मिलता रहता है जैसे नवजात शिशु को समाज से व्यवहारिक मार्गदर्शन मिल जाता है।)
-राजयोगी जी