27-Apr-2024 PM 02:27:40 by Rajyogi Ji
जिन महादेव से आश्रय पाने के लिए संसार जन्मो लगा देता है, माता पार्वती के कुपित होने के कारण उन्ही महादेव को भी कैलाश के आश्रय से विहीन होना पड़ा था। यह संसार ऐसा ही है! जीव का शरीर के साथ अनुभव स्थापित करने के लिए यह इस संसार रूपी कांटा आवश्यक तो है, किन्तु यहीं कांटा अधिक गहराई में चुभ जाए तो जीव के लिए शरीर के साथ दुखदाई संबंध स्थापित कर देता है। यह संसार रूपी कांटा जीव की इच्छा के ऊपरी भाग में ही रहे तो बोध ( मुक्ति ) के द्वार खोल देता है, अधिक गहराई में चला जाए तो जन्म-मृत्यु का कारक बन आवागमन के चक्कर में उलझा देता है। जैसे निद्रा में मन के द्वारा प्राकृति का जो भी निर्माण होता है वह जागने पर स्वतः ही नष्ट हो जाता है, किन्तु अवचेतन मन के द्वारा चतुर्थ आयाम की गहराइयों में किया गया निर्माण, जागने पर प्रत्यक्ष रूप धारण लेता है और मन के लिए चार जन्मो का बंधन बन जाता है।
-राजयोगी जी