27-Apr-2024 PM 01:54:25 by Rajyogi Ji
कभी कभी यह शरीर 80 वर्ष की आयु में भी बचपन जीता है, उसके मस्तिष्क में बचपन की स्मृतियां उभर आती हैं और शरीर 80 वर्ष का होने पर भी बचपन जी लेता है। कभी कभी यह शरीर बचपन में भी 100 वर्ष की आयु जी लेता है, इसके मस्तिष्क में पूर्व जन्म की स्मृतियां उभर आती हैं और यह शरीर बचपन में भी शतायु जी लेता है- कारण कि जीना शरीर की उम्र का नहीं विचारों का होता है, आप बचपन, युवावस्था अथवा बुढ़ापे में हो सकते हैं, किंतु जीवन आपकी स्मृतियां जीती हैं। यह चेतना अनादि है! जिसने अनंत जन्म लिए हैं, यह किसी भी उम्र में किसी भी शहर में अपनी इच्छानुसार स्थान और आयु में जी सकती है।
-राजयोगी जी